Thursday, August 26, 2010



एलेक्टेड और सेलेक्टेड, अनपढ़ के वोट पर चुने गए, सेलरी चाहिए सी ई ओ जितना

इससे बड़ा दुर्भाग्य हमारे हिंदुस्तान का क्या हो सकता है की अनपढ़ के वोट पे चुने जाने वाले नेता देश की करोडो भूखी नंगी जनता की तो परवाह नहीं करते, लेकिन अपने वि आई पी लेवल को बनाये रखने के लिए वे देश की संसद को ठप्प कर देते है. इन नेताओ को अब सेक्रेट्री से ज्यादा वेतन चाहिए. इन देश के भ्रष्टाचार नेताओ को पता नहीं की ये सेक्रेटरी उनकी तरह न तो अनपढ़ है और न ही अनपढ़ के वोट पर चुन कर आये है. जिस तरह से ८०००० प्रति माह सलारी के लिए ये नेता संसद में लड़ रहे है, शायद ही जनता की किसी समस्याओ पर ये संसद में लड़े हो. इन सांसदों की प्रति माह का अगर कुल खर्च पकड़ा जाये तो ३ लाख रूपये से ऊपर होता है जी किसी कॉर्पोरेट की सलारी से कम नहीं है. पर अब बढ़ने के बाद ये खर्च प्रति माह ६ लाख रूपये हो जायेगा. सलारी बढ़ने से पहले देश के सभी सांसदों के ५ साल में कुल खर्च ८५५ करोड़ होते थे जो अब १६०० करोड़ हो जायेंगे और इतनी उच्च सेलरी के लिए किसी योग्यता की भी जरुरत नहीं है. बस देश की जनता को ठगने, झूठ , भ्रष्टाचार करने और देश का जातिवाद और प्रांतवाद में बटने की योग्यता होनी चाहिए. इन सांसदों से कोई पूछे की ये अपने एरिया में घुमने के लिए जो पैसा लेते है, वो कितने दिनों आपकी एरिया में आये है. लेकिन इनको सलारी चाहिए बाबुओ से ज्यादा.
इन नेताओ के क्या कहने . हाल में जब सुप्रीम कोर्ट ने देश में सड़ रहे अनाजो के बारे में कहा की इन अनाजो को गरीबो में मुफ्त बात दो तो हमारे कृषि मंत्री पवार ने जवाब दे दिया की गरीबो में वे अनाज मुफ्त नहीं बाटेंगे. भले ही गरीब अनाज के लिए अपनी जान दे दे , लेकिन अनाज बटने की बजे सड़ जायेगा, पर हमारे मंत्री को उसकी फिक्र नहीं है, सलारी की फिक्र बराबर है. इन नेताओ के क्या कहने. हाल में जब सुप्रीम कोर्ट ने देश में सड़ रहे अनाज के बारे में कहा की इन अनाज को देश के गरीबो में बात दिया जाये तो हमारे कृषि मंत्री पवार ने कहा की हम गरीबो को अनाज नहीं बात सकते. दरअसल पवार को ये दर है की कही देश में अनाजो के गोदामो में दरअसल पवार को ये डर है की कही देश में अनाजो के गोदामो में पड़े अनाज की कही पोल न खुल जाये. ऐसे मंत्री है जिन्हें गरीबो को सडा हुआ अनाज बटने में भी परेशानी है. हाल में एक जानकारी के मुताबिक हमारे देश में सालाना ३२ हज़ार करोड़ का अनाज सड़ जाता है और हमारी सरकार के पास इसे रखने की जगह नहीं है घोटालो और सिंडिकेट का रैकेट चलाकर देश की जनता को १०० रूपये किलो दाल और चीनी देनेवाले ये नेता बताये की जब अनाज सड़ रहा है तो कीमते क्यों इतनी बढ़ रही है कैसे कोई गरीब १५ रूपये किलो नमक और २५ रूपये किलो का गेहू खरीद सकता है जब उसकी आय ही महीने की ३००० रूपये है. देश की ४२ करोड़ जनता आज भी भूखी रहती है लेकिन हमारे नेताओ को अनाज सड़ाने में बहुत ख़ुशी होती है . देश में 66.५ करोड़ लोगो के पास ट्वायलेट नहीं नहीं है तो 70 % बच्चे अनीमिया के शिकार है. है. पर इन समस्याओ के लिए हमारे किसी नेता ने कभी संसद में आवाज नहीं उठाई. इन धनवान सांसदों का अनुमान इसी बात से लगा लीजिये की देश के ३१५ संसद करोडपति है लेकिन नेता बन्ने से पहले ये रोडपति भी नहीं थे. दरअसल सरकार देश में गरीबो की अभी तक सही संख्या ही तय नहीं कर पाई है. जबकि मधु कोड़ा, अरुणाचल के मुख्यमंत्री गेगांग जैसे नेता जनता के करोडो रूपये खाकर हजम कर बैठे है. ऐसे नाटो के भरोसे देश की गरीबी तो जाने से रही, हा इन नेताओ की गरीबी हट जाएगी और ये आमिर बन जायेंगे.

Tuesday, August 24, 2010

एलेक्टेड और सेलेक्टेड, अनपढ़ के वोट पर चुने गए, सेलरी चाहिए सी ई ओ जितना

इससे बड़ा दुर्भाग्य हमारे हिंदुस्तान का क्या हो सकता है की अनपढ़ के वोट पे चुने जाने वाले नेता देश की करोडो भूखी नंगी जनता की तो परवाह नहीं करते, लेकिन अपने वि आई पी लेवल को बनाये रखने के लिए वे देश की संसद को ठप्प कर देते है. इन नेताओ को अब सेक्रेट्री से ज्यादा वेतन चाहिए. इन देश के भ्रष्टाचार नेताओ को पता नहीं की ये सेक्रेटरी उनकी तरह न तो अनपढ़ है और न ही अनपढ़ के वोट पर चुन कर आये है. जिस तरह से ८०००० प्रति माह सलारी के लिए ये नेता संसद में लड़ रहे है, शायद ही जनता की किसी समस्याओ पर ये संसद में लड़े हो.
इन सांसदों की प्रति माह का अगर कुल खर्च पकड़ा जाये तो ३ लाख रूपये से ऊपर होता है जी किसी कॉर्पोरेट की सलारी से कम नहीं है. पर अब बढ़ने के बाद ये खर्च प्रति माह ६ लाख रूपये हो जायेगा. सलारी बढ़ने से पहले देश के सभी सांसदों के ५ साल में कुल खर्च ८५५ करोड़ होते थे जो अब १६०० करोड़ हो जायेंगे और इतनी उच्च सेलरी के लिए किसी योग्यता की भी जरुरत नहीं है. बस देश की जनता को ठगने, झूठ , भ्रष्टाचार करने और देश का जातिवाद और प्रांतवाद में बटने की योग्यता होनी चाहिए. इन सांसदों से कोई पूछे की ये अपने एरिया में घुमने के लिए जो पैसा लेते है, वो कितने दिनों आपकी एरिया में आये है. लेकिन इनको सलारी चाहिए बाबुओ से ज्यादा.

Wednesday, May 5, 2010

गुजरात के लिए सी बी आई का मतलब है कांग्रेस ब्यूरो आफ इंजस्टिस

जिस तरह से गुजरात में पिछले कुछ सालो से महज एक एन्कोउन्टर को लेकर पूरे देश की एजेंसिया, केंद्र सर्कार और यहाँ तक की अदालत भी हो- हो हल्ला मचा रही है उससे तो ये ही लग रहा है की गुजरात के लिए सी बी आई का मतलब है कांग्रेस ब्यूरो आफ इंजस्टिस. दर असला गुजरात में सत्ता से बहार रहना कांग्रेस को पाच नहीं रहा है. ये ही वजह है की एक सोहराबुद्दीन की मौत को लेकर ऐसे बवाल मचाया जा रहा है जैसे वह देश के लिए शहीद हो गया हो.

गुजरात इस समय गोल्डेन जुबिली मना रहा है और हमें इस बात का गर्व होना चाहिए की आज गुजरात की प्रगति पर पूरा देश गर्व कर रहा है. इसका अगर किसी को श्री जाना चाहिए तो वो है गुजरात के विकाश पुरुष नरेन्द्र मोदी , जिनकी अगवानी में गुजरात ने ये तरक्की हासिल की है. लगातार विरोधियो का शिकार होने के बावजूद मोदी ने वह काम किया है, जो आज तक इस देस की किसी सरकार ने नहीं किया है. जिस एन्कोउन्टर और मोदी को मुस्लिम विरोधी बताकर बवाल मचाया जा रहा है उसी का परिणाम है की पूरे देश में अत्नाकी गतिविधिया होती रही है लेकिन गुजरात में २००२ के बाद कोई दंगा नहीं और कोई आतंकी घटना नहीं हुई है.
अब अगर एन्कोउन्टर की ही बात करे तो केंद्र सरकार लगातार सी बी आई के उपयोग गुजरात के लिए कर रही है. हलाकि इससे गुजरात में नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता ही बढ़ी है. इस बारे में बीजेपी संसद पुरुषोत्तम रुपालाकहते है की केद्र की सरकार जनता द्वारा चुनी गई एक ऐसी सरकार को निशाना बना रही है जिसे जनता अपनी आँखों पैर बिठा रही है और वह सरकार देश की सबसे लोकप्रिय सरकार है. अब तो कांग्रेस के लिए दिक्कत ये है की गुजरात की जनता ही सी बी आई के खिलाफ रोड पे उतरने की तयारी कर रही है.
देश में अगर एन्कोउन्टर की बात करे तो २००२ में कुल ५५ एनकाउंटर हुए थे जिसमे से यूं पी में ४४, २००३ में कुल ११८ एनकाउंटर में यूं पी में ७८, आन्ध्र में ५, बिहार में ५, महाराष्ट्र में ५ और गुजरात में २, २००४ में कुल १०९ एनकाउंटर में यूं पी में ६८, आन्ध्र में ९ , बिहार में ५, महाराष्ट्र में ४ और गुजरात में ४,२००५ में कुल ८४ एनकाउंटर में यूं पी में ५४, आन्ध्र में ५, बिहार में 7, महाराष्ट्र में ४ और गुजरात में ६, २००६ में कुल ४५ एनकाउंटर में यूं पी में २९, आन्ध्र में ३ , बिहार में ३, और गुजरात में ४, और २००७ में कुल ३६१ एनकाउंटर में यूं पी में ५१ , आन्ध्र में ५, बिहार में १६ और गुजरात में १ एनकाउंटर हुआ था. लेकिन एनकाउंटर में उत्तर प्रदेश टॉप पर है, पर वह किसी भी एनकाउंटर की जाँच नहीं हुई. वह क्या किसी भी राज्य में एक भी एनकाउंटरकी जाँच नहीं हुई. उसका कारन ये है की या तो वह कांग्रेस की सरकार है या फिर कांग्रेस को समर्थन करनेवाले दल की सरकार है. केंद्र सरकार गुजरात की पुलिस के आत्मबल को बस हताश करने चाहती है , नहीं तो एक दो एनकाउंटर को लेकर इतना बड़ा बवाल मचने की जरुरत नहीं है.

इन कांग्रेसियो को ये नहीं दीखता है की अफजल गुरु जैसे कितने लोगो को सालो साल पहले फासी की सजा सुनाई गयी है पर उस पर अमल कर पाना इन कांग्रेसियों के बस की बल नहीं है. क्यों की अगर अफजल को फासी होती है तो उससे कांग्रेसियों का वोते खिसक जायेगा. इसलिए देश में आतंकी हमला करते रहे और कांग्रेस अपने वोट की चिंता करती रहे.

पर गुजरात तो जैसे केंद्र सरकार के आँखों की किरकिरी बन चूका है. एनकाउंटर ही नहीं, मुस्लिमो को इस कदर मोदी के खिलाफ भड़काया जाता है जैसे मोदी उनके दुश्मन हो. जबकि हकीकत ये है की गुजरात में मुस्लिम जितने खुश है, उतने किसी और राज्य में नहीं है. गुजरात में इतनी शांति और विकास हो रहा है की लोग आहा खुश है. हल में अमिताभ बच्चन जब गुजरात के लिए प्रोमोट करने को राजी हुए तो कांग्रेसियों ने ऐसा हल्ला मचाया जैसे अमिताभ ने कोई गुनाह कर दिया हो. अमिताभ की ये खबर हप्तो अखबारों के कागज को काला करती रही और क्नाग्रेसी खुश होते रहे. कांग्रेसियों की मानसिकता ही ऐसे बन गयी है की वो विकाश पुरुष को देख नहीं सकते. आज महाराष्ट्र भी गोल्डेन जुबिली मना रहा है लेकिन यहाँ के किसान अपनी आत्महत्या की गोल्डेन जुबिली मना रहे है. ये कांग्रेसियों को नहीं दीखता है की देश को अनाज देनेवाला आज इस देश में भूखो मर रहा है.
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Tuesday, March 30, 2010

अरे कांग्रेसियो शर्म करो, दिमाग मत खोखला करो
गुजरात क मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी से विशेष जाच टीम ने पूछताछ क्या कर ली की कांग्रेसियो को चिल्लाने का मौका मिल गया. कांग्रेसियो ने अब बिग बी अमिताभ बच्चन से पूछा है की वो बोले की वो गुजरात दंगे की निंदा करते है या नहीं? इन कांग्रेसियों को ये बात ८ साल बाद दिमाग में आई है और वो भी उस इन्सान से पूछ रहे है जिसने इन्ही कांग्रेसियो की बोफोर्स जैसी घिनोनी राजनीती से तंग आकर तौबा कर ली. अमिताभ एक कलाकार है और वो गुजरे के ब्रांड अम्बेस्स्डोर है. उनका कम है प्रचार करना और पैसे कमाना न की इन नेताओ की तरह बोफोर्स और अन्य सौदों की तरह दलाली करना.
गुजरात दंगे का एक बार फिर भूत जगा है. जिन लोगो को गुजरात दंगे को लेकर इतना दुःख हो रहा है उनको समझ में नहीं आता की दागे से पहले जब अयोध्या से आ रहे ६३ हिन्दुओ को जला दिया गया तब उनकी आंखे अंधी हो गई थी. और ये तो एक प्रतिक्रिया थी. सही बात ये है आप किसी को मरोगे तो वो भी मरेगा, अब इसमें कौन कैसे मरता है और किसको क्या होता है ये तो नहीं देखा जाता. जहा तक मोदी के ऊपर आरोप लग रहे है किसी के पास उनके खिलाफ कोई साबुत नहीं है. मोदी तो तलवार ले के दंगा करने नहीं गए थे? फिर उन पे इतना बवाल क्यों मच रहा है? कांग्रेसियो को शर्म नहीं आती की इंदिरा गाँधी की हत्या की बाद आखिर क्यों सीखो का नरसंहार किया गया? क्यों पंजाब में आज भी सिख न्याय पाने क लिए भटक रहे है? क्यों ये कांग्रेसी उन सीखो को न्याय नहीं देते? किसने किया थे पंजाब में सीखो के नर संहार? अगर किसी राज्य में दंगे के लिए मुख्यमंत्री को दोषी ठहराया जा सकता है तो महाराष्ट्र में हर साल १०-२० दंगे होते है? कितनी बार मुख्यमंत्री को सजा मिली है? कितनी बार किसी ने आरोप लगाये. आतंकी घटना में महाराष्ट्र में कितने लोग मरे जाते है तब क्यों नहीं इन कांग्रेसियो की आत्मा उन मृतको के प्रति जगती है? मरे हुए कांग्रेसी मुर्दों की तरह रह रह कर कफ़न से उठ जाते है? इनको कौन बताये की आज भारत के कश्मीर भारत के हाथ से निकल रहा है लेकिन ये मुस्लिमो की ऐसी गुलामी कर रहे है की उनको अलग से आरक्षण दे रहे है? देश को मुस्लिमो के लिए ये कांग्रेसी अरक्षित कर दिए है.
इस देश की अगर आज सबसे बड़ी कोई कमी है तो वह है गद्दार मुसलमानों की इज्ज़त करना. इन कांग्रेसियों को ये समझ में नहीं आता की आज भी देश में हर तरफ दंगा और आतंकी हमला होता है लेकिन गुजरात में दंगे और आतंकी हमले के नाम नहीं है. वह विकास की गंगा बह रही है और इसका सर्टिफिकेट देश के तमाम उद्योगपति भी मोदी को दे चुके है? ये ही कारन है की कांग्रेसियो को गुजरात की सत्ता से दूर रहना खल रहा है? आज जिस बिग बी को ये कांग्रेसी अछूत मन रहे है कभी वही बिग बी इन कांग्रेसियो की सत्ता के लिए भगवन होते थे. आज इन कांग्रेसियो को मुसलमानों से इतना प्यार है की देश आतंक में जल रहा है पैर इनको कुछ नहीं पड़ी है. मुंबई में जब ६ माह तक उत्तरभारतीयो की पिटाई होती रही तो इसी कांग्रेस की सर्कार तमाशा देखती रही और कोई करवाई नहीं की. तब क्यों नहीं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को जिम्मेदार ठराया गया. अरे कांग्रेसियो देश के विकास के बारे में सोचो, राजनीती से ऊपर उठो और एक अछे देश के बारे में सोचो. मोदी और अमिताभ के चक्कर में पड़कर अपनी उर्जा मत ख़राब करो .मोदी इस देश के अरबो हिन्दुओ के भगवन है तुम्हारे जैसे ३० % मुसलमानों के लिए देश को बेचने का कम नहीं कर रहे है .

Tuesday, March 9, 2010

आरक्षण की वैशाखी क्यों चाहिए?
हिंदुस्तान जैसे विश्व के सबसे बड़े लोकतान्त्रिक देश के संसद में जब संसद ही अखाडा के पहलवान की तरह लड़ने लगे या फिर संसद की गरिमा को भूलकर उसका उपहास उड़ने लगे तो फिर कैसे उम्मीद की जा सकती है की हमारा देश एक महान देश है? ८ मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पैर संसद में महिलाओ को ३३ फीसदी आरक्षण को लेकर समाजवादी पार्टी और लालू यादव की पार्टी ने जो हंगामा किया, वह तो शर्मनाक है और उनके सांसदों को निलंबन की सजा मिल चुकी है और कोंग्रेस ने ३३ फीसदी आरक्षण को पास करा लिया है. लेकिन सवाल यह भी उठता है की क्या आज़ादी के ६० साल बाद भी हमें अपंग की तरह महिलाओ को वैशाखी का सहारा देना उचित है? क्या ६० साल में हम इतने विकसित नहीं हो पाए की महिलाओ को उन्नत बना सके? आज हम अपने आपको दुनिया की महान आर्थिक शक्तियों में से एक गिनते है और है भी. लेकिन जब हम अपने ही देश में इसका आकलन करते है तो पते है की हम दुनिया वालो के सामने ज़बरदस्त तरक्की हासिल कर ली है लेकिन ये भूल जाते है की आज भी देश की ४० करोड़ जनता को दो टाइम का भोजन नसीब नहीं हो पता. ४० करोड़ लोग ऐसे भी है जो कदों टाइम के भोजन क्र व्यवस्था करते है लेकिन जब कोई बीमारी आ जाती है तो उनके पास आत्महत्या करने के सिवा कुछ नहीं रहता.
अगर आज हम ये मन ले की वैशाखी के बिना महिलाये कुछ नहीं कर सकती तो ये गलत है. दर असल देश की राजनितिक पार्टिया इस तरह का खेल खेलती है और वोट हथियाने का कम करती है. अगर हम किसी बच्चे कोया एक दो साल तक पकड़ के चलते है और फिर उन्हें छोड़ देते हुई और वे गिरते पड़ते चलना सिख लेते है. तो क्या हम ६० साल बाद महिलाओ को उनके हल पैर नहीं छोड़ सकते? और आज वैसे भी महिलाये कहा पीछे है. कई ऐसे सेक्टर है जहा महिलाये पुरुषो की तुलना में आगे है. और आज अगर जरुरत है तो महिलाओ पर होनेवाले बलात्कार, अत्याचार को रोकने की जो कभी नहीं होता. आज अगर हम महिलाओ की बात कारे तो ऐसे हजारो महिलाये है जिन्होने अपने बल पे एक मुकाम हासिल किया है. इसमें मायावती, सुषमा स्वराज, लता मंगेशकर, सानिया मिर्ज़ा, इंदिरा नुई, चंदा कोचर, शिखा शर्मा, किरण मजुमदार, हेमामलिनी, माधुरी दिक्सित, कल्पना मोरपारिया, मीरा कुमार, पी टी ऊषा जैसे कितने नाम है, जो इतिहास रच रहे है. खुद पोलिटिक्स में महिलाओ को अगर देखे तो राष्ट्रपति से लेकर लोकसभा अध्यक्ष तक वही है. फिर आरक्षण की वैशाखी देना कहा तक उचित है? मेरा तो ये मन्ना है की आरक्षण की सुविधा ही ख़त्म कर दी जाये और जो गरीब है उन्हें आर्थिक रूप से उनकी जरुरत के टाइम मदद की जाये.

Friday, March 6, 2009

भ्रष्टाचारी नेताओ ने भारत का एक अरब करोड़ रूपये रखा है स्विस बैंक में


भारत के भ्रष्टाचारी नेता देश की जनता को किस तरह से मुर्ख बनते है, इसका पता आम जनता को नही चलता। लेकिन अगर एक रिपोर्ट पर गौर करें तो पता चलता है की ये लोकतंत्र के भ्रष्टाचारी नेता काले धन की एक अरब करोड़ रूपये स्विट्जरलैंड के स्विस बैंक में भारत का रखा है। ये राशिः इतनी बड़ी है की इससे भारत पर जितना विदेशी क़र्ज़ है उसे भारत चुका सकता है। जबकि भारत के हर नागरिक में अगर इस पैसे को बात दिया जाए तो हर इंसान को एक लाख रूपये से ज्यादा मिलेगा। भारत की बैंक जहा पैसा जमा करने पर ब्याज देता है वही स्विस बैंक पैसे रखने पर पैसे लेते है। यानि अपना पैसा रखने par भी ब्याज देते है। हालाँकि स्विस बैंक के नियम के मुताबिक vo किसी के पैसेडा kनही कर सकता है इसलिए सभी देश के नेता अपने काले धन को इ e है। सूचना अधिकार के तहत भी इस ओ kओ हासिल नहीं किया जा सकता हालाँकि स्विस बैंक ने खुलासा करने का सकता दिया है जिससे नहीं धन को रखने इससे की पहले नैजीरिया गई है । हालाँकि isse pahle naijiriya ने स्विस बैंक के काले धन को अपने देश में का अधिकार जीत लिया है . isliye bharat bhi yah adhikar jeet sakta hai . naijeeriya ke rashtrapati saani abacha ne apni praja ke 33 karod american doller jama karaye the. abacha ko pad bhrasht karke vaha ke shasko ne swiss bank se rashtra ka dhan vapas lane ki ek lambi ladai ladi aur we isme safal bhi huye. jab naijeeriya aisa kar sakta hai to kya bharat aisa nahi kar sakta? is samay desh me chunav ka mahaul hai aise me votro ko netao se ye to poochhna hi chaiye. NDA ke jorj farnandis ne kuchh samay pahle kaha tha ki jab ve boforce ki faail khol rahe the tba unhe atal bihari vajpayee ne mana kar diya. isse ye sabit hota hai congress ke pas bhi kuchh bjp netao ki file thi jisse boforce dab gaya. vaise swiss banko me dhan vapsi kr 3 sharte hoti hai. isme pahla ye ki kya dhan atankvadi gatividhiyo ko chalane ke liye jama kiya hai, dusra kya dhan nasheele padartho se mila hai aur tisra kya dhan desh ke kanoon ko bhang karke mila hai? isme se tisra karan hamare netao par lagoo hota hai ki unhone kanoon bhang karke in paiso ko swiss bank me rakha hai. isliye chunav se pahle desh ki janta ko in netao se ye jaroor poochhna chahiye ki wo swiss bank ka dhan kaha se laye hai aur bharat sarkar ke pass jama karaye.