Wednesday, August 31, 2011

समझो तो सही अन्ना जी

समझो तो सही अन्ना जी
आख़िरकार अन्ना हजारे का अनशन ख़त्म हो गया। इसे कुछ लोग अन्ना की जीत मान रहे है तो कुछ को लग रहा है की इससे भ्रष्टाचार ख़त्म हो जायेगा। अब ये तो आनेवाला समय ही बताएगा की अन्ना के इस अनशन का क्या नतीजा रहा, लेकिन एक बात ये साफ़ है की अन्ना के अनशन में जो लोग थे, वो सभी इमानदार थे, ये सही नहीं है।

अन्ना के अनशन से देश की जो छवि धूमिल हुई वो सब जानते है। सामान्य तौर पर हम भी जानते है, आप भी जानते है की घर की बात घर में ही सुलझाई जाती है न की रोड पर। लेकिन अन्ना ने जिस तरह से पूरे विश्व को ये बता दिया की भारत के नेता भ्रष्ट है, उससे भारत की क्या छवि बनी ये सभी को पता है । अन्ना के अनशन में वो लोग शामिल थे, जो वहा से आने के बाद खद भ्रष्टाचार में शामिल हो गए। ये वो लोग थे, जिन्होंने अनशन से आने के बाद रोड पर सिग्नल तोडा और ट्राफ्फिक पुलिस को ५० रूपये दे के निकल लिए। इन लोगो ने ये नहीं कहा की हम आर टी औ से जाकर लाइसेंस लेंगे या पैसा दे कर रसीद लेंगे। कहने का मतलब ये है की चोर पर चोरी का इलज़ाम लगाने से बेहतर ये है की आप अपने घर में ताला लगा के रखिये। यानि आप देशवासियो को ये क्यों नहीं कहते की वो किसी भी कम के लिए रिश्वत नहीं देंगे भले ही उन्हें चार दिन लाइन लगाना पड़े। लेकिन आज कल के मोडर्न ज़माने में लाइन लगाना इन लोगो को शर्मनाक लगता है और शोर्ट कट में १००-५० रूपये दे के निकल लेने में ये अपनी शान समझते है।

सोचने की बात ये है की भ्रष्ट्राचार शुरू कहा से होता है? आप और हमारे जैसे आम लोग ही इसे शुरू करते है और बढ़ावा देते है। हमें जल्दी है, हमारे पास टाइम नहीं है। ये सही है की नेता या अधिकारी भ्रष्ट है, लेकिन इसकी क्या गारंटी की अन्ना की जो टीम है उसमे सभी लोग इमानदार होंगे। स्वामी अग्निवेश, शांति भूषण का तो हमने देख लिया, बाकि जब पूरी टीम आयेगी तब हम और देखेंगे।। पर ये तो अभी से पता चल रहा है की टीम अन्ना में फुतम फाट हो गयी है।

अन्ना को जो समर्थन मिला, वो इसलिए की हाल में जो यु पि ये सरकार के प्रति लोगो में हाल के दिनों में अशंतोश था, उसी का गुस्सा फुट है। लेकिन इससे क्या हासिल होगा, ये कहना मुश्किल होगा। क्यों की अगर जन लोकपाल बिल पास हो भी जाये तो इसमें इतने लूप होल बनेंगे की जन लोकपाल बिल का कोई असर नहीं होगा। फिर भी अन्ना ने जो सब्जेक्ट उठाया है, उससे एक तस्वीर साफ है की सरकार इससे कुछ सीखेगी और शायद कुछ नया कदम उठा के अपनी मजबूती बनाये.

Thursday, June 30, 2011

बड़े धोके है इस राह में .........

बहुत ही पुराना एक गाना है, बाबूजी धीरे चलना, प्यार में जरा संभलना, बड़े धोखे है इस राह में,. इसी तरह से एक गाना और है. - अगर बेवफा तुमको हम जन जाते, खुदा की कसम हम मोहब्बत न करते, प्यार करना जुर्म नहीं है, लेकिन प्यार करना, कितना सही है, ये तय होना चाहिए, खासकर तब जब हम एक ऐसे युग में जी रहे हो जहा हर चीज यूज एंड थ्रो बनती जा रही है तो सोहनी और महिवाल, हीर और राँझा की प्यार कहानी या फिर मुमताज और शाहजहाँ क्र प्रेम कहानी की उम्मीद करना बेमानी है. पिछले कुछ टाइम से महानगरीय जीवन में जो बदलाव आया है उसका नतीजा कुछ ऐसे ही दिख रहा है. मैंने कई ऐसे प्यार करने वालो को देखा है जिसमे या तो लड़की बहुत प्यार करती है तो लड़का धोखा दे देता है और अगर लड़का बहुत प्यार करता है तो फिर लड़की धोखा दे देती है. मेरा ये मानना है की इस तरह के मामले में अगर किसी को धोखा होता भी है तो उसे किसी की शिकायत नहीं करनी चाहिए. हो सकता है लड़की को कोई कमी लड़के में दिखी हो, या लड़की को लड़के में दिखी हो, इसलिए भी अलग हो सकते है. लेकिन आज अगर कोई लड़का प्यार कर के लड़की से अलग होना चाहता है तो उसके ऊपर बलात्कार या फिर धोखा का आरोप लगता है और मामला पुलिस स्टेशन में चला जाता है. जबकि बलात्कार भी हुआ होगा तो दोनों की मंजूरी से. लेकिन इस मंजूरी को प्यार का नाम न दे के बलात्कार का नाम दिया जाता है. समझ में नहीं आता की जब साथ जीने मरने की कसमे खाई, वादे किये, एक साथ बीवी की तरह रही तो बलात्कार कैसे हो सकता? क्या आज कोई संवेदना ( इम्मोशन) नहीं राह गई है? इसी मामले में अगर लड़की भी ऐसा कर क लड़के को छोड़ देती है तो फिर वो बलात्कार का मामला नहीं बनता. हालाँकि कुछ मामलो में लडको ने लडकियों क ऊपर तेजाब दाल के या किसी और तरह से उनकी हत्या कर के बदला लिया है. लेकिन मेरा मानना है की अगर लड़की उन सब बातो, उन नजदीकियों, उन वादों को भूल जाती है तो फिर ये उस पे छोड़ देना चाहिए. मै जनता हु की किसी से एक बार अगर दिल से जुड़ गया कोई तो अलग होना कितना कठिन है, लेकिन या भी होना चाहिए की अगर हमने वादे किये, कुछ पल एक साथ जिए और कुछ जुडाव रहा तो फिर दुनिया को एक तरफ रख क अपने प्यार की नाव को उसी तरह से पार लगाना चाहिए, जैसे समुद्र के बीच लहरों को चीरता हुआ नाविक समुद्र के साहिल पे पहुच जाता है. इसलिए की उसकी मंजिल वही है. वो लहरों से घबराता नहीं है- जैसे हरिवंश राय बच्चन ने कहा है- लहरों से डर के नौका पर नहीं होती, कोशिश करने वालो की हांर नहीं होती. इसलिए अगर किसी ने सच्चे दिल से प्यार किया है तो उसे उसी पे कायम होकर दोनों की नैया को ज़िन्दगी के इस समुद्र से पार लगाने की कोशिश करनी चाहिए.मेरी तरफ से ऐसे लोगो को इतना प्यार मिले, ताकि वो ज़िन्दगी आराम से जी sake धन्यवाद ............BUY