Sunday, March 31, 2013
Wednesday, August 31, 2011
समझो तो सही अन्ना जी
समझो तो सही अन्ना जी
आख़िरकार अन्ना हजारे का अनशन ख़त्म हो गया। इसे कुछ लोग अन्ना की जीत मान रहे है तो कुछ को लग रहा है की इससे भ्रष्टाचार ख़त्म हो जायेगा। अब ये तो आनेवाला समय ही बताएगा की अन्ना के इस अनशन का क्या नतीजा रहा, लेकिन एक बात ये साफ़ है की अन्ना के अनशन में जो लोग थे, वो सभी इमानदार थे, ये सही नहीं है।
अन्ना के अनशन से देश की जो छवि धूमिल हुई वो सब जानते है। सामान्य तौर पर हम भी जानते है, आप भी जानते है की घर की बात घर में ही सुलझाई जाती है न की रोड पर। लेकिन अन्ना ने जिस तरह से पूरे विश्व को ये बता दिया की भारत के नेता भ्रष्ट है, उससे भारत की क्या छवि बनी ये सभी को पता है । अन्ना के अनशन में वो लोग शामिल थे, जो वहा से आने के बाद खद भ्रष्टाचार में शामिल हो गए। ये वो लोग थे, जिन्होंने अनशन से आने के बाद रोड पर सिग्नल तोडा और ट्राफ्फिक पुलिस को ५० रूपये दे के निकल लिए। इन लोगो ने ये नहीं कहा की हम आर टी औ से जाकर लाइसेंस लेंगे या पैसा दे कर रसीद लेंगे। कहने का मतलब ये है की चोर पर चोरी का इलज़ाम लगाने से बेहतर ये है की आप अपने घर में ताला लगा के रखिये। यानि आप देशवासियो को ये क्यों नहीं कहते की वो किसी भी कम के लिए रिश्वत नहीं देंगे भले ही उन्हें चार दिन लाइन लगाना पड़े। लेकिन आज कल के मोडर्न ज़माने में लाइन लगाना इन लोगो को शर्मनाक लगता है और शोर्ट कट में १००-५० रूपये दे के निकल लेने में ये अपनी शान समझते है।
सोचने की बात ये है की भ्रष्ट्राचार शुरू कहा से होता है? आप और हमारे जैसे आम लोग ही इसे शुरू करते है और बढ़ावा देते है। हमें जल्दी है, हमारे पास टाइम नहीं है। ये सही है की नेता या अधिकारी भ्रष्ट है, लेकिन इसकी क्या गारंटी की अन्ना की जो टीम है उसमे सभी लोग इमानदार होंगे। स्वामी अग्निवेश, शांति भूषण का तो हमने देख लिया, बाकि जब पूरी टीम आयेगी तब हम और देखेंगे।। पर ये तो अभी से पता चल रहा है की टीम अन्ना में फुतम फाट हो गयी है।
अन्ना को जो समर्थन मिला, वो इसलिए की हाल में जो यु पि ये सरकार के प्रति लोगो में हाल के दिनों में अशंतोश था, उसी का गुस्सा फुट है। लेकिन इससे क्या हासिल होगा, ये कहना मुश्किल होगा। क्यों की अगर जन लोकपाल बिल पास हो भी जाये तो इसमें इतने लूप होल बनेंगे की जन लोकपाल बिल का कोई असर नहीं होगा। फिर भी अन्ना ने जो सब्जेक्ट उठाया है, उससे एक तस्वीर साफ है की सरकार इससे कुछ सीखेगी और शायद कुछ नया कदम उठा के अपनी मजबूती बनाये.
आख़िरकार अन्ना हजारे का अनशन ख़त्म हो गया। इसे कुछ लोग अन्ना की जीत मान रहे है तो कुछ को लग रहा है की इससे भ्रष्टाचार ख़त्म हो जायेगा। अब ये तो आनेवाला समय ही बताएगा की अन्ना के इस अनशन का क्या नतीजा रहा, लेकिन एक बात ये साफ़ है की अन्ना के अनशन में जो लोग थे, वो सभी इमानदार थे, ये सही नहीं है।
अन्ना के अनशन से देश की जो छवि धूमिल हुई वो सब जानते है। सामान्य तौर पर हम भी जानते है, आप भी जानते है की घर की बात घर में ही सुलझाई जाती है न की रोड पर। लेकिन अन्ना ने जिस तरह से पूरे विश्व को ये बता दिया की भारत के नेता भ्रष्ट है, उससे भारत की क्या छवि बनी ये सभी को पता है । अन्ना के अनशन में वो लोग शामिल थे, जो वहा से आने के बाद खद भ्रष्टाचार में शामिल हो गए। ये वो लोग थे, जिन्होंने अनशन से आने के बाद रोड पर सिग्नल तोडा और ट्राफ्फिक पुलिस को ५० रूपये दे के निकल लिए। इन लोगो ने ये नहीं कहा की हम आर टी औ से जाकर लाइसेंस लेंगे या पैसा दे कर रसीद लेंगे। कहने का मतलब ये है की चोर पर चोरी का इलज़ाम लगाने से बेहतर ये है की आप अपने घर में ताला लगा के रखिये। यानि आप देशवासियो को ये क्यों नहीं कहते की वो किसी भी कम के लिए रिश्वत नहीं देंगे भले ही उन्हें चार दिन लाइन लगाना पड़े। लेकिन आज कल के मोडर्न ज़माने में लाइन लगाना इन लोगो को शर्मनाक लगता है और शोर्ट कट में १००-५० रूपये दे के निकल लेने में ये अपनी शान समझते है।
सोचने की बात ये है की भ्रष्ट्राचार शुरू कहा से होता है? आप और हमारे जैसे आम लोग ही इसे शुरू करते है और बढ़ावा देते है। हमें जल्दी है, हमारे पास टाइम नहीं है। ये सही है की नेता या अधिकारी भ्रष्ट है, लेकिन इसकी क्या गारंटी की अन्ना की जो टीम है उसमे सभी लोग इमानदार होंगे। स्वामी अग्निवेश, शांति भूषण का तो हमने देख लिया, बाकि जब पूरी टीम आयेगी तब हम और देखेंगे।। पर ये तो अभी से पता चल रहा है की टीम अन्ना में फुतम फाट हो गयी है।
अन्ना को जो समर्थन मिला, वो इसलिए की हाल में जो यु पि ये सरकार के प्रति लोगो में हाल के दिनों में अशंतोश था, उसी का गुस्सा फुट है। लेकिन इससे क्या हासिल होगा, ये कहना मुश्किल होगा। क्यों की अगर जन लोकपाल बिल पास हो भी जाये तो इसमें इतने लूप होल बनेंगे की जन लोकपाल बिल का कोई असर नहीं होगा। फिर भी अन्ना ने जो सब्जेक्ट उठाया है, उससे एक तस्वीर साफ है की सरकार इससे कुछ सीखेगी और शायद कुछ नया कदम उठा के अपनी मजबूती बनाये.
Thursday, June 30, 2011
बड़े धोके है इस राह में .........
बहुत ही पुराना एक गाना है, बाबूजी धीरे चलना, प्यार में जरा संभलना, बड़े धोखे है इस राह में,. इसी तरह से एक गाना और है. - अगर बेवफा तुमको हम जन जाते, खुदा की कसम हम मोहब्बत न करते, प्यार करना जुर्म नहीं है, लेकिन प्यार करना, कितना सही है, ये तय होना चाहिए, खासकर तब जब हम एक ऐसे युग में जी रहे हो जहा हर चीज यूज एंड थ्रो बनती जा रही है तो सोहनी और महिवाल, हीर और राँझा की प्यार कहानी या फिर मुमताज और शाहजहाँ क्र प्रेम कहानी की उम्मीद करना बेमानी है. पिछले कुछ टाइम से महानगरीय जीवन में जो बदलाव आया है उसका नतीजा कुछ ऐसे ही दिख रहा है. मैंने कई ऐसे प्यार करने वालो को देखा है जिसमे या तो लड़की बहुत प्यार करती है तो लड़का धोखा दे देता है और अगर लड़का बहुत प्यार करता है तो फिर लड़की धोखा दे देती है. मेरा ये मानना है की इस तरह के मामले में अगर किसी को धोखा होता भी है तो उसे किसी की शिकायत नहीं करनी चाहिए. हो सकता है लड़की को कोई कमी लड़के में दिखी हो, या लड़की को लड़के में दिखी हो, इसलिए भी अलग हो सकते है. लेकिन आज अगर कोई लड़का प्यार कर के लड़की से अलग होना चाहता है तो उसके ऊपर बलात्कार या फिर धोखा का आरोप लगता है और मामला पुलिस स्टेशन में चला जाता है. जबकि बलात्कार भी हुआ होगा तो दोनों की मंजूरी से. लेकिन इस मंजूरी को प्यार का नाम न दे के बलात्कार का नाम दिया जाता है. समझ में नहीं आता की जब साथ जीने मरने की कसमे खाई, वादे किये, एक साथ बीवी की तरह रही तो बलात्कार कैसे हो सकता? क्या आज कोई संवेदना ( इम्मोशन) नहीं राह गई है? इसी मामले में अगर लड़की भी ऐसा कर क लड़के को छोड़ देती है तो फिर वो बलात्कार का मामला नहीं बनता. हालाँकि कुछ मामलो में लडको ने लडकियों क ऊपर तेजाब दाल के या किसी और तरह से उनकी हत्या कर के बदला लिया है. लेकिन मेरा मानना है की अगर लड़की उन सब बातो, उन नजदीकियों, उन वादों को भूल जाती है तो फिर ये उस पे छोड़ देना चाहिए. मै जनता हु की किसी से एक बार अगर दिल से जुड़ गया कोई तो अलग होना कितना कठिन है, लेकिन या भी होना चाहिए की अगर हमने वादे किये, कुछ पल एक साथ जिए और कुछ जुडाव रहा तो फिर दुनिया को एक तरफ रख क अपने प्यार की नाव को उसी तरह से पार लगाना चाहिए, जैसे समुद्र के बीच लहरों को चीरता हुआ नाविक समुद्र के साहिल पे पहुच जाता है. इसलिए की उसकी मंजिल वही है. वो लहरों से घबराता नहीं है- जैसे हरिवंश राय बच्चन ने कहा है- लहरों से डर के नौका पर नहीं होती, कोशिश करने वालो की हांर नहीं होती. इसलिए अगर किसी ने सच्चे दिल से प्यार किया है तो उसे उसी पे कायम होकर दोनों की नैया को ज़िन्दगी के इस समुद्र से पार लगाने की कोशिश करनी चाहिए.मेरी तरफ से ऐसे लोगो को इतना प्यार मिले, ताकि वो ज़िन्दगी आराम से जी sake धन्यवाद ............BUY
Thursday, August 26, 2010
एलेक्टेड और सेलेक्टेड, अनपढ़ के वोट पर चुने गए, सेलरी चाहिए सी ई ओ जितना
इससे बड़ा दुर्भाग्य हमारे हिंदुस्तान का क्या हो सकता है की अनपढ़ के वोट पे चुने जाने वाले नेता देश की करोडो भूखी नंगी जनता की तो परवाह नहीं करते, लेकिन अपने वि आई पी लेवल को बनाये रखने के लिए वे देश की संसद को ठप्प कर देते है. इन नेताओ को अब सेक्रेट्री से ज्यादा वेतन चाहिए. इन देश के भ्रष्टाचार नेताओ को पता नहीं की ये सेक्रेटरी उनकी तरह न तो अनपढ़ है और न ही अनपढ़ के वोट पर चुन कर आये है. जिस तरह से ८०००० प्रति माह सलारी के लिए ये नेता संसद में लड़ रहे है, शायद ही जनता की किसी समस्याओ पर ये संसद में लड़े हो. इन सांसदों की प्रति माह का अगर कुल खर्च पकड़ा जाये तो ३ लाख रूपये से ऊपर होता है जी किसी कॉर्पोरेट की सलारी से कम नहीं है. पर अब बढ़ने के बाद ये खर्च प्रति माह ६ लाख रूपये हो जायेगा. सलारी बढ़ने से पहले देश के सभी सांसदों के ५ साल में कुल खर्च ८५५ करोड़ होते थे जो अब १६०० करोड़ हो जायेंगे और इतनी उच्च सेलरी के लिए किसी योग्यता की भी जरुरत नहीं है. बस देश की जनता को ठगने, झूठ , भ्रष्टाचार करने और देश का जातिवाद और प्रांतवाद में बटने की योग्यता होनी चाहिए. इन सांसदों से कोई पूछे की ये अपने एरिया में घुमने के लिए जो पैसा लेते है, वो कितने दिनों आपकी एरिया में आये है. लेकिन इनको सलारी चाहिए बाबुओ से ज्यादा.
इन नेताओ के क्या कहने . हाल में जब सुप्रीम कोर्ट ने देश में सड़ रहे अनाजो के बारे में कहा की इन अनाजो को गरीबो में मुफ्त बात दो तो हमारे कृषि मंत्री पवार ने जवाब दे दिया की गरीबो में वे अनाज मुफ्त नहीं बाटेंगे. भले ही गरीब अनाज के लिए अपनी जान दे दे , लेकिन अनाज बटने की बजे सड़ जायेगा, पर हमारे मंत्री को उसकी फिक्र नहीं है, सलारी की फिक्र बराबर है. इन नेताओ के क्या कहने. हाल में जब सुप्रीम कोर्ट ने देश में सड़ रहे अनाज के बारे में कहा की इन अनाज को देश के गरीबो में बात दिया जाये तो हमारे कृषि मंत्री पवार ने कहा की हम गरीबो को अनाज नहीं बात सकते. दरअसल पवार को ये दर है की कही देश में अनाजो के गोदामो में दरअसल पवार को ये डर है की कही देश में अनाजो के गोदामो में पड़े अनाज की कही पोल न खुल जाये. ऐसे मंत्री है जिन्हें गरीबो को सडा हुआ अनाज बटने में भी परेशानी है. हाल में एक जानकारी के मुताबिक हमारे देश में सालाना ३२ हज़ार करोड़ का अनाज सड़ जाता है और हमारी सरकार के पास इसे रखने की जगह नहीं है घोटालो और सिंडिकेट का रैकेट चलाकर देश की जनता को १०० रूपये किलो दाल और चीनी देनेवाले ये नेता बताये की जब अनाज सड़ रहा है तो कीमते क्यों इतनी बढ़ रही है कैसे कोई गरीब १५ रूपये किलो नमक और २५ रूपये किलो का गेहू खरीद सकता है जब उसकी आय ही महीने की ३००० रूपये है. देश की ४२ करोड़ जनता आज भी भूखी रहती है लेकिन हमारे नेताओ को अनाज सड़ाने में बहुत ख़ुशी होती है . देश में 66.५ करोड़ लोगो के पास ट्वायलेट नहीं नहीं है तो 70 % बच्चे अनीमिया के शिकार है. है. पर इन समस्याओ के लिए हमारे किसी नेता ने कभी संसद में आवाज नहीं उठाई. इन धनवान सांसदों का अनुमान इसी बात से लगा लीजिये की देश के ३१५ संसद करोडपति है लेकिन नेता बन्ने से पहले ये रोडपति भी नहीं थे. दरअसल सरकार देश में गरीबो की अभी तक सही संख्या ही तय नहीं कर पाई है. जबकि मधु कोड़ा, अरुणाचल के मुख्यमंत्री गेगांग जैसे नेता जनता के करोडो रूपये खाकर हजम कर बैठे है. ऐसे नाटो के भरोसे देश की गरीबी तो जाने से रही, हा इन नेताओ की गरीबी हट जाएगी और ये आमिर बन जायेंगे.
इन नेताओ के क्या कहने . हाल में जब सुप्रीम कोर्ट ने देश में सड़ रहे अनाजो के बारे में कहा की इन अनाजो को गरीबो में मुफ्त बात दो तो हमारे कृषि मंत्री पवार ने जवाब दे दिया की गरीबो में वे अनाज मुफ्त नहीं बाटेंगे. भले ही गरीब अनाज के लिए अपनी जान दे दे , लेकिन अनाज बटने की बजे सड़ जायेगा, पर हमारे मंत्री को उसकी फिक्र नहीं है, सलारी की फिक्र बराबर है. इन नेताओ के क्या कहने. हाल में जब सुप्रीम कोर्ट ने देश में सड़ रहे अनाज के बारे में कहा की इन अनाज को देश के गरीबो में बात दिया जाये तो हमारे कृषि मंत्री पवार ने कहा की हम गरीबो को अनाज नहीं बात सकते. दरअसल पवार को ये दर है की कही देश में अनाजो के गोदामो में दरअसल पवार को ये डर है की कही देश में अनाजो के गोदामो में पड़े अनाज की कही पोल न खुल जाये. ऐसे मंत्री है जिन्हें गरीबो को सडा हुआ अनाज बटने में भी परेशानी है. हाल में एक जानकारी के मुताबिक हमारे देश में सालाना ३२ हज़ार करोड़ का अनाज सड़ जाता है और हमारी सरकार के पास इसे रखने की जगह नहीं है घोटालो और सिंडिकेट का रैकेट चलाकर देश की जनता को १०० रूपये किलो दाल और चीनी देनेवाले ये नेता बताये की जब अनाज सड़ रहा है तो कीमते क्यों इतनी बढ़ रही है कैसे कोई गरीब १५ रूपये किलो नमक और २५ रूपये किलो का गेहू खरीद सकता है जब उसकी आय ही महीने की ३००० रूपये है. देश की ४२ करोड़ जनता आज भी भूखी रहती है लेकिन हमारे नेताओ को अनाज सड़ाने में बहुत ख़ुशी होती है . देश में 66.५ करोड़ लोगो के पास ट्वायलेट नहीं नहीं है तो 70 % बच्चे अनीमिया के शिकार है. है. पर इन समस्याओ के लिए हमारे किसी नेता ने कभी संसद में आवाज नहीं उठाई. इन धनवान सांसदों का अनुमान इसी बात से लगा लीजिये की देश के ३१५ संसद करोडपति है लेकिन नेता बन्ने से पहले ये रोडपति भी नहीं थे. दरअसल सरकार देश में गरीबो की अभी तक सही संख्या ही तय नहीं कर पाई है. जबकि मधु कोड़ा, अरुणाचल के मुख्यमंत्री गेगांग जैसे नेता जनता के करोडो रूपये खाकर हजम कर बैठे है. ऐसे नाटो के भरोसे देश की गरीबी तो जाने से रही, हा इन नेताओ की गरीबी हट जाएगी और ये आमिर बन जायेंगे.
Tuesday, August 24, 2010
एलेक्टेड और सेलेक्टेड, अनपढ़ के वोट पर चुने गए, सेलरी चाहिए सी ई ओ जितना
इससे बड़ा दुर्भाग्य हमारे हिंदुस्तान का क्या हो सकता है की अनपढ़ के वोट पे चुने जाने वाले नेता देश की करोडो भूखी नंगी जनता की तो परवाह नहीं करते, लेकिन अपने वि आई पी लेवल को बनाये रखने के लिए वे देश की संसद को ठप्प कर देते है. इन नेताओ को अब सेक्रेट्री से ज्यादा वेतन चाहिए. इन देश के भ्रष्टाचार नेताओ को पता नहीं की ये सेक्रेटरी उनकी तरह न तो अनपढ़ है और न ही अनपढ़ के वोट पर चुन कर आये है. जिस तरह से ८०००० प्रति माह सलारी के लिए ये नेता संसद में लड़ रहे है, शायद ही जनता की किसी समस्याओ पर ये संसद में लड़े हो.
इन सांसदों की प्रति माह का अगर कुल खर्च पकड़ा जाये तो ३ लाख रूपये से ऊपर होता है जी किसी कॉर्पोरेट की सलारी से कम नहीं है. पर अब बढ़ने के बाद ये खर्च प्रति माह ६ लाख रूपये हो जायेगा. सलारी बढ़ने से पहले देश के सभी सांसदों के ५ साल में कुल खर्च ८५५ करोड़ होते थे जो अब १६०० करोड़ हो जायेंगे और इतनी उच्च सेलरी के लिए किसी योग्यता की भी जरुरत नहीं है. बस देश की जनता को ठगने, झूठ , भ्रष्टाचार करने और देश का जातिवाद और प्रांतवाद में बटने की योग्यता होनी चाहिए. इन सांसदों से कोई पूछे की ये अपने एरिया में घुमने के लिए जो पैसा लेते है, वो कितने दिनों आपकी एरिया में आये है. लेकिन इनको सलारी चाहिए बाबुओ से ज्यादा.
इससे बड़ा दुर्भाग्य हमारे हिंदुस्तान का क्या हो सकता है की अनपढ़ के वोट पे चुने जाने वाले नेता देश की करोडो भूखी नंगी जनता की तो परवाह नहीं करते, लेकिन अपने वि आई पी लेवल को बनाये रखने के लिए वे देश की संसद को ठप्प कर देते है. इन नेताओ को अब सेक्रेट्री से ज्यादा वेतन चाहिए. इन देश के भ्रष्टाचार नेताओ को पता नहीं की ये सेक्रेटरी उनकी तरह न तो अनपढ़ है और न ही अनपढ़ के वोट पर चुन कर आये है. जिस तरह से ८०००० प्रति माह सलारी के लिए ये नेता संसद में लड़ रहे है, शायद ही जनता की किसी समस्याओ पर ये संसद में लड़े हो.
इन सांसदों की प्रति माह का अगर कुल खर्च पकड़ा जाये तो ३ लाख रूपये से ऊपर होता है जी किसी कॉर्पोरेट की सलारी से कम नहीं है. पर अब बढ़ने के बाद ये खर्च प्रति माह ६ लाख रूपये हो जायेगा. सलारी बढ़ने से पहले देश के सभी सांसदों के ५ साल में कुल खर्च ८५५ करोड़ होते थे जो अब १६०० करोड़ हो जायेंगे और इतनी उच्च सेलरी के लिए किसी योग्यता की भी जरुरत नहीं है. बस देश की जनता को ठगने, झूठ , भ्रष्टाचार करने और देश का जातिवाद और प्रांतवाद में बटने की योग्यता होनी चाहिए. इन सांसदों से कोई पूछे की ये अपने एरिया में घुमने के लिए जो पैसा लेते है, वो कितने दिनों आपकी एरिया में आये है. लेकिन इनको सलारी चाहिए बाबुओ से ज्यादा.
Wednesday, May 5, 2010
गुजरात के लिए सी बी आई का मतलब है कांग्रेस ब्यूरो आफ इंजस्टिस
जिस तरह से गुजरात में पिछले कुछ सालो से महज एक एन्कोउन्टर को लेकर पूरे देश की एजेंसिया, केंद्र सर्कार और यहाँ तक की अदालत भी हो- हो हल्ला मचा रही है उससे तो ये ही लग रहा है की गुजरात के लिए सी बी आई का मतलब है कांग्रेस ब्यूरो आफ इंजस्टिस. दर असला गुजरात में सत्ता से बहार रहना कांग्रेस को पाच नहीं रहा है. ये ही वजह है की एक सोहराबुद्दीन की मौत को लेकर ऐसे बवाल मचाया जा रहा है जैसे वह देश के लिए शहीद हो गया हो.
गुजरात इस समय गोल्डेन जुबिली मना रहा है और हमें इस बात का गर्व होना चाहिए की आज गुजरात की प्रगति पर पूरा देश गर्व कर रहा है. इसका अगर किसी को श्री जाना चाहिए तो वो है गुजरात के विकाश पुरुष नरेन्द्र मोदी , जिनकी अगवानी में गुजरात ने ये तरक्की हासिल की है. लगातार विरोधियो का शिकार होने के बावजूद मोदी ने वह काम किया है, जो आज तक इस देस की किसी सरकार ने नहीं किया है. जिस एन्कोउन्टर और मोदी को मुस्लिम विरोधी बताकर बवाल मचाया जा रहा है उसी का परिणाम है की पूरे देश में अत्नाकी गतिविधिया होती रही है लेकिन गुजरात में २००२ के बाद कोई दंगा नहीं और कोई आतंकी घटना नहीं हुई है.
अब अगर एन्कोउन्टर की ही बात करे तो केंद्र सरकार लगातार सी बी आई के उपयोग गुजरात के लिए कर रही है. हलाकि इससे गुजरात में नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता ही बढ़ी है. इस बारे में बीजेपी संसद पुरुषोत्तम रुपालाकहते है की केद्र की सरकार जनता द्वारा चुनी गई एक ऐसी सरकार को निशाना बना रही है जिसे जनता अपनी आँखों पैर बिठा रही है और वह सरकार देश की सबसे लोकप्रिय सरकार है. अब तो कांग्रेस के लिए दिक्कत ये है की गुजरात की जनता ही सी बी आई के खिलाफ रोड पे उतरने की तयारी कर रही है.
देश में अगर एन्कोउन्टर की बात करे तो २००२ में कुल ५५ एनकाउंटर हुए थे जिसमे से यूं पी में ४४, २००३ में कुल ११८ एनकाउंटर में यूं पी में ७८, आन्ध्र में ५, बिहार में ५, महाराष्ट्र में ५ और गुजरात में २, २००४ में कुल १०९ एनकाउंटर में यूं पी में ६८, आन्ध्र में ९ , बिहार में ५, महाराष्ट्र में ४ और गुजरात में ४,२००५ में कुल ८४ एनकाउंटर में यूं पी में ५४, आन्ध्र में ५, बिहार में 7, महाराष्ट्र में ४ और गुजरात में ६, २००६ में कुल ४५ एनकाउंटर में यूं पी में २९, आन्ध्र में ३ , बिहार में ३, और गुजरात में ४, और २००७ में कुल ३६१ एनकाउंटर में यूं पी में ५१ , आन्ध्र में ५, बिहार में १६ और गुजरात में १ एनकाउंटर हुआ था. लेकिन एनकाउंटर में उत्तर प्रदेश टॉप पर है, पर वह किसी भी एनकाउंटर की जाँच नहीं हुई. वह क्या किसी भी राज्य में एक भी एनकाउंटरकी जाँच नहीं हुई. उसका कारन ये है की या तो वह कांग्रेस की सरकार है या फिर कांग्रेस को समर्थन करनेवाले दल की सरकार है. केंद्र सरकार गुजरात की पुलिस के आत्मबल को बस हताश करने चाहती है , नहीं तो एक दो एनकाउंटर को लेकर इतना बड़ा बवाल मचने की जरुरत नहीं है.
इन कांग्रेसियो को ये नहीं दीखता है की अफजल गुरु जैसे कितने लोगो को सालो साल पहले फासी की सजा सुनाई गयी है पर उस पर अमल कर पाना इन कांग्रेसियों के बस की बल नहीं है. क्यों की अगर अफजल को फासी होती है तो उससे कांग्रेसियों का वोते खिसक जायेगा. इसलिए देश में आतंकी हमला करते रहे और कांग्रेस अपने वोट की चिंता करती रहे.
पर गुजरात तो जैसे केंद्र सरकार के आँखों की किरकिरी बन चूका है. एनकाउंटर ही नहीं, मुस्लिमो को इस कदर मोदी के खिलाफ भड़काया जाता है जैसे मोदी उनके दुश्मन हो. जबकि हकीकत ये है की गुजरात में मुस्लिम जितने खुश है, उतने किसी और राज्य में नहीं है. गुजरात में इतनी शांति और विकास हो रहा है की लोग आहा खुश है. हल में अमिताभ बच्चन जब गुजरात के लिए प्रोमोट करने को राजी हुए तो कांग्रेसियों ने ऐसा हल्ला मचाया जैसे अमिताभ ने कोई गुनाह कर दिया हो. अमिताभ की ये खबर हप्तो अखबारों के कागज को काला करती रही और क्नाग्रेसी खुश होते रहे. कांग्रेसियों की मानसिकता ही ऐसे बन गयी है की वो विकाश पुरुष को देख नहीं सकते. आज महाराष्ट्र भी गोल्डेन जुबिली मना रहा है लेकिन यहाँ के किसान अपनी आत्महत्या की गोल्डेन जुबिली मना रहे है. ये कांग्रेसियों को नहीं दीखता है की देश को अनाज देनेवाला आज इस देश में भूखो मर रहा है.
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गुजरात इस समय गोल्डेन जुबिली मना रहा है और हमें इस बात का गर्व होना चाहिए की आज गुजरात की प्रगति पर पूरा देश गर्व कर रहा है. इसका अगर किसी को श्री जाना चाहिए तो वो है गुजरात के विकाश पुरुष नरेन्द्र मोदी , जिनकी अगवानी में गुजरात ने ये तरक्की हासिल की है. लगातार विरोधियो का शिकार होने के बावजूद मोदी ने वह काम किया है, जो आज तक इस देस की किसी सरकार ने नहीं किया है. जिस एन्कोउन्टर और मोदी को मुस्लिम विरोधी बताकर बवाल मचाया जा रहा है उसी का परिणाम है की पूरे देश में अत्नाकी गतिविधिया होती रही है लेकिन गुजरात में २००२ के बाद कोई दंगा नहीं और कोई आतंकी घटना नहीं हुई है.
अब अगर एन्कोउन्टर की ही बात करे तो केंद्र सरकार लगातार सी बी आई के उपयोग गुजरात के लिए कर रही है. हलाकि इससे गुजरात में नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता ही बढ़ी है. इस बारे में बीजेपी संसद पुरुषोत्तम रुपालाकहते है की केद्र की सरकार जनता द्वारा चुनी गई एक ऐसी सरकार को निशाना बना रही है जिसे जनता अपनी आँखों पैर बिठा रही है और वह सरकार देश की सबसे लोकप्रिय सरकार है. अब तो कांग्रेस के लिए दिक्कत ये है की गुजरात की जनता ही सी बी आई के खिलाफ रोड पे उतरने की तयारी कर रही है.
देश में अगर एन्कोउन्टर की बात करे तो २००२ में कुल ५५ एनकाउंटर हुए थे जिसमे से यूं पी में ४४, २००३ में कुल ११८ एनकाउंटर में यूं पी में ७८, आन्ध्र में ५, बिहार में ५, महाराष्ट्र में ५ और गुजरात में २, २००४ में कुल १०९ एनकाउंटर में यूं पी में ६८, आन्ध्र में ९ , बिहार में ५, महाराष्ट्र में ४ और गुजरात में ४,२००५ में कुल ८४ एनकाउंटर में यूं पी में ५४, आन्ध्र में ५, बिहार में 7, महाराष्ट्र में ४ और गुजरात में ६, २००६ में कुल ४५ एनकाउंटर में यूं पी में २९, आन्ध्र में ३ , बिहार में ३, और गुजरात में ४, और २००७ में कुल ३६१ एनकाउंटर में यूं पी में ५१ , आन्ध्र में ५, बिहार में १६ और गुजरात में १ एनकाउंटर हुआ था. लेकिन एनकाउंटर में उत्तर प्रदेश टॉप पर है, पर वह किसी भी एनकाउंटर की जाँच नहीं हुई. वह क्या किसी भी राज्य में एक भी एनकाउंटरकी जाँच नहीं हुई. उसका कारन ये है की या तो वह कांग्रेस की सरकार है या फिर कांग्रेस को समर्थन करनेवाले दल की सरकार है. केंद्र सरकार गुजरात की पुलिस के आत्मबल को बस हताश करने चाहती है , नहीं तो एक दो एनकाउंटर को लेकर इतना बड़ा बवाल मचने की जरुरत नहीं है.
इन कांग्रेसियो को ये नहीं दीखता है की अफजल गुरु जैसे कितने लोगो को सालो साल पहले फासी की सजा सुनाई गयी है पर उस पर अमल कर पाना इन कांग्रेसियों के बस की बल नहीं है. क्यों की अगर अफजल को फासी होती है तो उससे कांग्रेसियों का वोते खिसक जायेगा. इसलिए देश में आतंकी हमला करते रहे और कांग्रेस अपने वोट की चिंता करती रहे.
पर गुजरात तो जैसे केंद्र सरकार के आँखों की किरकिरी बन चूका है. एनकाउंटर ही नहीं, मुस्लिमो को इस कदर मोदी के खिलाफ भड़काया जाता है जैसे मोदी उनके दुश्मन हो. जबकि हकीकत ये है की गुजरात में मुस्लिम जितने खुश है, उतने किसी और राज्य में नहीं है. गुजरात में इतनी शांति और विकास हो रहा है की लोग आहा खुश है. हल में अमिताभ बच्चन जब गुजरात के लिए प्रोमोट करने को राजी हुए तो कांग्रेसियों ने ऐसा हल्ला मचाया जैसे अमिताभ ने कोई गुनाह कर दिया हो. अमिताभ की ये खबर हप्तो अखबारों के कागज को काला करती रही और क्नाग्रेसी खुश होते रहे. कांग्रेसियों की मानसिकता ही ऐसे बन गयी है की वो विकाश पुरुष को देख नहीं सकते. आज महाराष्ट्र भी गोल्डेन जुबिली मना रहा है लेकिन यहाँ के किसान अपनी आत्महत्या की गोल्डेन जुबिली मना रहे है. ये कांग्रेसियों को नहीं दीखता है की देश को अनाज देनेवाला आज इस देश में भूखो मर रहा है.
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Tuesday, March 30, 2010
अरे कांग्रेसियो शर्म करो, दिमाग मत खोखला करो
गुजरात क मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी से विशेष जाच टीम ने पूछताछ क्या कर ली की कांग्रेसियो को चिल्लाने का मौका मिल गया. कांग्रेसियो ने अब बिग बी अमिताभ बच्चन से पूछा है की वो बोले की वो गुजरात दंगे की निंदा करते है या नहीं? इन कांग्रेसियों को ये बात ८ साल बाद दिमाग में आई है और वो भी उस इन्सान से पूछ रहे है जिसने इन्ही कांग्रेसियो की बोफोर्स जैसी घिनोनी राजनीती से तंग आकर तौबा कर ली. अमिताभ एक कलाकार है और वो गुजरे के ब्रांड अम्बेस्स्डोर है. उनका कम है प्रचार करना और पैसे कमाना न की इन नेताओ की तरह बोफोर्स और अन्य सौदों की तरह दलाली करना.
गुजरात दंगे का एक बार फिर भूत जगा है. जिन लोगो को गुजरात दंगे को लेकर इतना दुःख हो रहा है उनको समझ में नहीं आता की दागे से पहले जब अयोध्या से आ रहे ६३ हिन्दुओ को जला दिया गया तब उनकी आंखे अंधी हो गई थी. और ये तो एक प्रतिक्रिया थी. सही बात ये है आप किसी को मरोगे तो वो भी मरेगा, अब इसमें कौन कैसे मरता है और किसको क्या होता है ये तो नहीं देखा जाता. जहा तक मोदी के ऊपर आरोप लग रहे है किसी के पास उनके खिलाफ कोई साबुत नहीं है. मोदी तो तलवार ले के दंगा करने नहीं गए थे? फिर उन पे इतना बवाल क्यों मच रहा है? कांग्रेसियो को शर्म नहीं आती की इंदिरा गाँधी की हत्या की बाद आखिर क्यों सीखो का नरसंहार किया गया? क्यों पंजाब में आज भी सिख न्याय पाने क लिए भटक रहे है? क्यों ये कांग्रेसी उन सीखो को न्याय नहीं देते? किसने किया थे पंजाब में सीखो के नर संहार? अगर किसी राज्य में दंगे के लिए मुख्यमंत्री को दोषी ठहराया जा सकता है तो महाराष्ट्र में हर साल १०-२० दंगे होते है? कितनी बार मुख्यमंत्री को सजा मिली है? कितनी बार किसी ने आरोप लगाये. आतंकी घटना में महाराष्ट्र में कितने लोग मरे जाते है तब क्यों नहीं इन कांग्रेसियो की आत्मा उन मृतको के प्रति जगती है? मरे हुए कांग्रेसी मुर्दों की तरह रह रह कर कफ़न से उठ जाते है? इनको कौन बताये की आज भारत के कश्मीर भारत के हाथ से निकल रहा है लेकिन ये मुस्लिमो की ऐसी गुलामी कर रहे है की उनको अलग से आरक्षण दे रहे है? देश को मुस्लिमो के लिए ये कांग्रेसी अरक्षित कर दिए है.
इस देश की अगर आज सबसे बड़ी कोई कमी है तो वह है गद्दार मुसलमानों की इज्ज़त करना. इन कांग्रेसियों को ये समझ में नहीं आता की आज भी देश में हर तरफ दंगा और आतंकी हमला होता है लेकिन गुजरात में दंगे और आतंकी हमले के नाम नहीं है. वह विकास की गंगा बह रही है और इसका सर्टिफिकेट देश के तमाम उद्योगपति भी मोदी को दे चुके है? ये ही कारन है की कांग्रेसियो को गुजरात की सत्ता से दूर रहना खल रहा है? आज जिस बिग बी को ये कांग्रेसी अछूत मन रहे है कभी वही बिग बी इन कांग्रेसियो की सत्ता के लिए भगवन होते थे. आज इन कांग्रेसियो को मुसलमानों से इतना प्यार है की देश आतंक में जल रहा है पैर इनको कुछ नहीं पड़ी है. मुंबई में जब ६ माह तक उत्तरभारतीयो की पिटाई होती रही तो इसी कांग्रेस की सर्कार तमाशा देखती रही और कोई करवाई नहीं की. तब क्यों नहीं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को जिम्मेदार ठराया गया. अरे कांग्रेसियो देश के विकास के बारे में सोचो, राजनीती से ऊपर उठो और एक अछे देश के बारे में सोचो. मोदी और अमिताभ के चक्कर में पड़कर अपनी उर्जा मत ख़राब करो .मोदी इस देश के अरबो हिन्दुओ के भगवन है तुम्हारे जैसे ३० % मुसलमानों के लिए देश को बेचने का कम नहीं कर रहे है .
गुजरात क मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी से विशेष जाच टीम ने पूछताछ क्या कर ली की कांग्रेसियो को चिल्लाने का मौका मिल गया. कांग्रेसियो ने अब बिग बी अमिताभ बच्चन से पूछा है की वो बोले की वो गुजरात दंगे की निंदा करते है या नहीं? इन कांग्रेसियों को ये बात ८ साल बाद दिमाग में आई है और वो भी उस इन्सान से पूछ रहे है जिसने इन्ही कांग्रेसियो की बोफोर्स जैसी घिनोनी राजनीती से तंग आकर तौबा कर ली. अमिताभ एक कलाकार है और वो गुजरे के ब्रांड अम्बेस्स्डोर है. उनका कम है प्रचार करना और पैसे कमाना न की इन नेताओ की तरह बोफोर्स और अन्य सौदों की तरह दलाली करना.
गुजरात दंगे का एक बार फिर भूत जगा है. जिन लोगो को गुजरात दंगे को लेकर इतना दुःख हो रहा है उनको समझ में नहीं आता की दागे से पहले जब अयोध्या से आ रहे ६३ हिन्दुओ को जला दिया गया तब उनकी आंखे अंधी हो गई थी. और ये तो एक प्रतिक्रिया थी. सही बात ये है आप किसी को मरोगे तो वो भी मरेगा, अब इसमें कौन कैसे मरता है और किसको क्या होता है ये तो नहीं देखा जाता. जहा तक मोदी के ऊपर आरोप लग रहे है किसी के पास उनके खिलाफ कोई साबुत नहीं है. मोदी तो तलवार ले के दंगा करने नहीं गए थे? फिर उन पे इतना बवाल क्यों मच रहा है? कांग्रेसियो को शर्म नहीं आती की इंदिरा गाँधी की हत्या की बाद आखिर क्यों सीखो का नरसंहार किया गया? क्यों पंजाब में आज भी सिख न्याय पाने क लिए भटक रहे है? क्यों ये कांग्रेसी उन सीखो को न्याय नहीं देते? किसने किया थे पंजाब में सीखो के नर संहार? अगर किसी राज्य में दंगे के लिए मुख्यमंत्री को दोषी ठहराया जा सकता है तो महाराष्ट्र में हर साल १०-२० दंगे होते है? कितनी बार मुख्यमंत्री को सजा मिली है? कितनी बार किसी ने आरोप लगाये. आतंकी घटना में महाराष्ट्र में कितने लोग मरे जाते है तब क्यों नहीं इन कांग्रेसियो की आत्मा उन मृतको के प्रति जगती है? मरे हुए कांग्रेसी मुर्दों की तरह रह रह कर कफ़न से उठ जाते है? इनको कौन बताये की आज भारत के कश्मीर भारत के हाथ से निकल रहा है लेकिन ये मुस्लिमो की ऐसी गुलामी कर रहे है की उनको अलग से आरक्षण दे रहे है? देश को मुस्लिमो के लिए ये कांग्रेसी अरक्षित कर दिए है.
इस देश की अगर आज सबसे बड़ी कोई कमी है तो वह है गद्दार मुसलमानों की इज्ज़त करना. इन कांग्रेसियों को ये समझ में नहीं आता की आज भी देश में हर तरफ दंगा और आतंकी हमला होता है लेकिन गुजरात में दंगे और आतंकी हमले के नाम नहीं है. वह विकास की गंगा बह रही है और इसका सर्टिफिकेट देश के तमाम उद्योगपति भी मोदी को दे चुके है? ये ही कारन है की कांग्रेसियो को गुजरात की सत्ता से दूर रहना खल रहा है? आज जिस बिग बी को ये कांग्रेसी अछूत मन रहे है कभी वही बिग बी इन कांग्रेसियो की सत्ता के लिए भगवन होते थे. आज इन कांग्रेसियो को मुसलमानों से इतना प्यार है की देश आतंक में जल रहा है पैर इनको कुछ नहीं पड़ी है. मुंबई में जब ६ माह तक उत्तरभारतीयो की पिटाई होती रही तो इसी कांग्रेस की सर्कार तमाशा देखती रही और कोई करवाई नहीं की. तब क्यों नहीं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को जिम्मेदार ठराया गया. अरे कांग्रेसियो देश के विकास के बारे में सोचो, राजनीती से ऊपर उठो और एक अछे देश के बारे में सोचो. मोदी और अमिताभ के चक्कर में पड़कर अपनी उर्जा मत ख़राब करो .मोदी इस देश के अरबो हिन्दुओ के भगवन है तुम्हारे जैसे ३० % मुसलमानों के लिए देश को बेचने का कम नहीं कर रहे है .
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