क्यों मचे वेलेंटाइन डे पर हाय तौबा ?
किसी भी वस्तू की जड़े जितना मजबूत होती है उतनी मजबूत उसकी टहनी या कोई और चीज नही हो सकती। फाउंडेशन यानि नींव मजबूत हो तो घर भी टिकाऊ होता है। अगर फाउंडेशन ही कमजोर हो या हम फाउंडेशन को बदलकर उसे किसी और रूप में ढालना चाहे तो ये सम्भव नही होता है। जो नींव हमने पहले डाल दी वो नींव हमारे जीवन की एक ऐसी मजबूत नींव होती है जिसके आधार पर हमारी हजारो नस्ल चलती रहती है. आजकल कुछ राजनीतिक लोग वेलेंटाइन पर हाय तौबा मचा रहे है.
वेलेंटाइन डे क्या है? हजारो साल पहले रोम में स्थानीय सत्ताधीश शादी के खिलाफ थे और उस टाइम रोम के एक युवक ने सत्ताधीशों के खिलाफ जाकर शादी कर ली। इस युवक की शादी के बाद सत्ताधीशों ने उसे सरेआम फांसी पर लटका दिया जिसका नाम संत वेलेंटाइन पड़ा। इसी युवक के नाम से वहा के युवको ने संत वेलेंटाइन डे को मनाना शुरू किया जो हर साल १४ फरवरी को मनाया जाता है। कुछ साल तक यह दिन रोम में मनाया जा रहा था, लेकिन जैसे जैसे ग्लोबल स्वरुप बनता गया, वैसे-वैसे पूरी दुनिया में यह प्यार का अति नाटकीय रूप फैलता गया। जहा तक हिंदुस्तान की बात है तो हिंदुस्तान में इसका प्रचालन १९९० के दशक में शुरू हुआ। हिन्दुस्तानियों की तो बात मत पूछिए।
प्यार के नाम पर यहाँ क्या -क्या होता है वो सभी को पता है। युवको में फैले इस डे का जो जानकारी है वो ये की संत वेलेंटाइन डे केवल बॉय फ्रेंड और गर्ल फ्रेंड के बीच एक अति अश्लील गतिविधिया है। १९९४ में मुझे इस बारे में मेरे एडिटर ने एक आर्टिकल लिखने को कहा तब मेरी समझ में आया का ये भी दिन किसी चिडिया का नाम है . किसी भारतीय युवक से ये पूछा जाए का उसका वेलेंटाइन कौन है तो वो अपनी गर्ल फ्रेंड के सिवा या नही कह सकता की उसकी माँ या उसके पिता भी उसके वेलेंटाइन हो सकते है. यहाँ जो वेलेंटाइन का बात है वो प्यार से सम्बंधित है. अब प्यार किसी को किसी से भी हो सकता है. जरूरी नही का वो गर्ल फ्रेंड और बॉय फ्रेंड का हो. लेकिन भारतीयों का नक़ल का भी प्रशंशा करनी होगी. जिस पश्चिमी संस्कृति का वो नक़ल कुछ सालो से कर रहे है उससे उनका नुक्सान ही हो रहा है. लाभ कुछ नही है. कहने का मतलब ये है का पश्चिमी देशो का नक़ल के चक्कर में हम उनके तो नही हो पाते है और अपनी जड़ो से भी कट जाते है। यानि न जमीं पर और न ही आसमान पर।
भारतीय सभ्यता और संस्कृति की अपनी एक मजबूत नींव है। इसके जैसा संस्कार और संस्कृति पूरी दुनिया में कही नही है। इसी संस्कृति किया बदौलत हमारा देश एक मजबूत लोकतंत्र के रूप में जाना जाता है। कोई अगर अपनी जड़ो से कट कर जीवन जीना चाहे तो सम्भव नही है। भारत त्योहारों का देश है। साल के हर महीने में कोई न कोई त्यौहार होता है। फिर विदेशो से हमें किसी त्यौहार को लाने का जरूरत क्या है? क्या हमारे त्यौहार किसी कम है? लेकिन यह जरूर है का विदेशो की तरह हमारी ये सभ्यता नही है की हम हर दिन एक अलग प्यार की तलाश करे और शाम ढलते ही उसे सूरज की किरणों के साथ विदा कर दे. हमर प्यार तो सात जन्मो का वह बंधन होता है जो कभी नही टूटता है सात जन्मो का बंधन ही इतना बड़ा लोकतंत्र को जीवित रखा है। जिस दिन ये बंधन टूट गया, ये सभ्यता और रीती रिवाज टूट गई उस दिन हमारा जीवन किसी जानवर से कम नही होगा। विदेशों में अक्सर ऐसा होता है की वह शादी किसी और के साथ जीवन किसी और के साथ तथा सार्वजानिक मंच पर किसी और के साथ। ये रिश्ते किसी भी तरह से प्यार के लिए प्रतिबद्ध नही होते. इसका उदहारण पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन और मोनिका लेविंस्की के रूप में भी हम देख चुके है. हम एक भारतीय है। भारत की हर गाथा का विदेशो में जय जय कार होती है फिर हमें उनके इस बिखरे और टूटे हुए रिश्ते की क्या जरूरत है? क्या हम कोई ऐसा मॉडल नही अपना सकते जी वेलेंटाइन की तरह पूरी दुनिया में हो? हमारे पास है . वो राम और सीता की जोड़ी। भारतीय लोग महिलाओ के प्रति कितना आकर्षित होते है ये भी कम नही है। अगर कोई व्यक्ति लोकल ट्रेन में जा रहा है और उसके बगल में बैठी महिला अगर गलती से नीद में उसके ऊपर सर रख दी तो वह व्यक्ति बिना टिकेट दो-तीन स्टेशन आगे चला जाएगा। मतलब हमारे यहाँ पुरुषों का दिल इतना बड़ा होता है की उनके दिल में दर्जनों महिलाए समां जाती है लेकिन महिलाओ का दिल इतना छोटा होता है की उनके दिल में एक ही पुरूष आया पाटा है। ये भी एक अच्छी संस्कृति है। कुछ समय से कुछ लोग वेलेंटाइन का विरोध कर रहे है। मेरी समझ में या नही आता की अब आम लोग उनके कहने पैर अपना जीवन चलाएंगे या अपने जीवन का फ़ैसला ख़ुद लेंगे? बिना मतलब इस बेकार के प्यार में क्यो हाय तौबा मचाना? फिर भी भारतीय युवको को इस ग्लोबल प्यार के बाज़ार में ख़ुद को बिकने से रोकना चाहिए। बिकने का मतलब ये की इस प्यार के नाम पर बहुराष्ट्रीय कंपनिया फूलो का साथ अपने ग्रीटिंग भारतीय बाज़ार में बेच रही है और पैसे कम रही है.
Wednesday, February 11, 2009
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