भूखे नंगों का आस्कर
इससे बड़ा भारत का कोई और दुर्भाग्य नहीं हो सकता की उसे विदेशी अस्कार अवार्ड लेने के लिए अपना ज़मीर अपनी इज्ज़त बेचनी पड़े। भारत की गरीबी और उसके नंगे भूखे बच्चों की तस्वीर को पूरी दुनिया के सामने बेचकर हमने बहुत बड़ा आस्कर अवार्ड जीत लिया है पूरा देश इस अवार्ड के पैरो टेल दब गया है। बात समझ में नहीं आती की क्या भारत को विदेशी तमगा हासिल करने के लिए उसकी नंगी तस्वीर को बेचना जरूरी है? किस देश में इस तरह की भूखमरी और नंगी तस्वीर नहीं है? लेकिन क्या कोई देश अपनी गरीबी को बेचकर विदेशी तमगा हासिल कर रहा है। एशियाई देशो में भारत के अलावा पाकिस्तान, अफगानिस्तान, चाइना, अफ्रीका जैसे न जाने कितने देश है जहा इतनी गरीबी है की पूरी दुनिया देख रही है लेकिन वो देश अपनी गरीबी को बेचकर आस्कर नहीं लेना चाहते है । दरअसल विदेशी फिल्मकार हमेशा भारत की ऐसी तस्वीर विश्व के सामने पेश करना कहते है जिससे भारत विश्व के सामने अपनी बातो को सही ढंग से न रख सके। भारत आज विकसित देशो की सूचि में शामिल होने की दिशा में बढ़ रहा है। पैर भारत की इस विकास यात्रा को कोई नहीं देखना चाहता। ये सही बात है की भारत में आज भी गरीबी कम नहीं है। लेकिन क्या हम नीजी तौर पैर अपने घर की बात किसी को बताते है? हमारे घर में क्या पाक रहा है हम अपने पडोसियों को इसकी जानकारी क्यों दे? लेकिन अंग्रेजी फिल्मकार भारत के इसी दृश्य को विश्व के सामने रखना चाहते है। पिछले ६० सालो के भारतीय आज़ादी के इतिहास में क्या ऐसी कोई फिल्म नहीं बनी जो मुख्य धारा में आस्कर जितने में कामयाब नहीं रही? लैला मजनू, सोहनी महिवाल, हीर राँझा, उमराव जान, शोले, दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे, साजन, हम आपके है कौन, ग़दर, चक दे इंडिया और हाल की रिलीज फिल्म गजनी ने बॉक्स ऑफिस पैर सभी रिकॉर्ड तोडे, तब क्यों नहीं आस्कर दिया गया? इसलिए की उसमे भूखे भारत की तस्वीर नहीं थी और दूसरी बात की उसे किसी अंग्रेजी फिल्मकार ने नहीं बनाया था। स्लम दोग को भी इसलिए आस्कर जैसा एक पुरस्कार दे दिया गया क्यों की उसे अंग्रेजी फिल्मकार ने बनाया था। वैसे इससे पहले भी भारत को आस्कर मिला है। पहला आस्कर सत्यजीत रोय को लाइफ टाइम अचीवमेंट के लिए और दूसरा आस्कर भानु अथैया को १९८३ में ड्रेस के लिए मिला है । कहने का मतलब जैसे जैसे भारत मजबूत हो रहा है वैसे वैसे उसे पश्चिमी देशो के तमगे की जरूरत पद रही है यानि जिस भारत का संगीत पूरी दुनिया में सबसे आगे है उसके संगीत को अब पश्चिमी देशो के आधार पर नंबर मिलेगा। अब भारत की संगीत को पश्चिमी देशो का प्रमाणपत्र चाहिए। उनकी अहमियत से हमारी संगीत की विरासत आंकी जायेगी? जिस विदेशी तमगों को लेकर आज पूरा देश झूम रहा है उनको ये भी पता नहीं की इस फिल्म के बाल कलाकारों की क्या हाल है? पूरी दुनिया में भारत की नंगी तस्वीर को बेचकर एक विदेशी तमगा हमने हासिल कर लिया है लेकिन क्या आज भी देश के करोडो गरीब, आदिवासी, बीमारू और भूखे नंगे बच्चो को हम एक टाइम की रोटी का जुगाड़ कर पाएंगे? क्या हम अपने शक्तिशाली भारत की तस्वीर दिखाकर एक विदेशी तमगा हासिल कर पाएंगे? शायद ये संभव नहीं है। क्यों की पश्चिमी देश हमारी विजय पर हमें तमगा नहीं देता है वो तो हमारी हार पर हमें एक तमगा देकर ये कहना चाहेगा की और दिखाओ नंगी भूखी तस्वीर और ले जाओ तमगों का उपहार। जय हो जय हो जय हो विदेशी तमगा की जय हो.
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